KARMALOGIST के तार्किक एवं आध्यात्मिक ज्ञान से पित्रदोष को समझते है कि आखिर पित्रदोष किस समस्या का नाम है ?
यह वास्तव में यह कोई गंभीर समस्या है या इसे भी किसी निजी लाभ के लिए फैलाया हुआ भ्रम है ?
समस्याओं के लिए अनेकों उपायों को करने के बाद भी जब व्यक्ति को कोई लाभ नहीं मिलता तब उसे पित्रदोष बताया जाता है | सभी ने पित्रदोष के बारे में पढ़ा-सुना है कि जिस व्यक्ति की कुंडली में पित्रदोष हो उसे जीवन में अनेक प्रकार की समस्याओं और बाधाओं का सामना करना पड़ता है | पित्रदोष का अर्थ यह बताया जाता है कि किसी व्यक्ति के पूर्वजो का उससे रुष्ट (नाराज़) हो जाना, इसीलिए व्यक्ति पूर्वजो को मानने का हर संभव प्रयास करता है | पित्र कैसे प्रसन्न होंगे इसका मूल ज्ञान ना होने के कारण व्यक्ति को जो भी उपाय बताये जाते हैं वह उन उपायों को ह्रदय से करता है कि किसी भी प्रकार से पित्र प्रसन्न हो जाये और जीवन की सभी समस्याएं समाप्त हो |
प्रश्न यह है कि पित्र रुष्ट क्यों होते है?
जिसके लिए व्यक्ति हर संभव और असंभव प्रयास करने के लिए विवश हो जाता है | कुछ लोगो ने अपने दादा को देखा होगा और ऐसे लोग बहुत ही कम होंगे जिन्होंने अपने पडदादा (दादा के पिता) को देखा होगा | आप सहमत होंगे कि पित्रों का अर्थ दादा, पडदादा, पडदादा के पिता या फिर उनके भी दादा पडदादा है | कोई भी माता पिता अपनी संतान का बुरा नहीं सोचेंगे या करेंगे, और ना ही उनका बुरा होते देख सकते है वो सदा चाहेंगे कि उनकी संतान सुखी और समृद्ध रहे |
- जिन पितरों ने हमें देखा नहीं या हमारा उनसे कोई लेना-देना नहीं रहा वो हमसे रुष्ट कैसे होंगे?
- उन्हें क्या पता कि उनकी तीसरी-चौथी या अगली किसी पीढ़ी में हम जन्म लेंगे?
- जिनबड़े बुज़ुर्ग से हमारी कभी बात नहीं हुई वो आशीर्वाद देने के बजाय रुष्ट क्यों होंगे या श्राप क्यों देंगे ?
- परिवार में कोई जातक जन्म ले तो दादा या पडदादा प्रसन्न होने के बजाय उससे रुष्ट क्यों होगा चाहे वो कैसा भी हो?
- जब हमारा जन्म हुआ तब यदि पित्र किसी अन्य योनी(शरीर) में जन्म ले चुके होंगे तो उनके लिए किये गए उपायआदि का उन्हें पता कैसे लगेगा कि वह प्रसन्न हों ?
सभी को पता है कि हर व्यक्ति अपने-अपने कर्म भोगने संसार में जन्म लेता है यहाँ जो भी हो रहा है वह अपने ही द्वारा किए कर्मो का फल है जिसे भाग्य कहा जाता है |
- यदि सभी अपने अपने कर्मो के अनुसार सुख-दुःख, समस्याओं या बाधाओं का सामना करते हैं तो पित्रदोष क्या है?
- क्या भोले भाले लोगो को अपने निजी लाभ के लिए डराया जाता है ?
- क्या लाखो रूपए खर्च करके किए गए पित्रदोष के उपाय केवल निजी लाभ के लिए हैं?
- जिन लोगों को जन्मकुंडली में विशवास नहीं है क्या उनके पित्र उनसे रुष्ट नहीं होते, यदि होते है तो क्या वह प्रसन्न नहीं होते क्योंकि उपाय तो किए ही नहीं जाते ?
ऐसी बहुत सी बातें विचार करने योग्य है कि व्यक्ति को जो बताया गया है वह कितना न्यायसंगत है और कितना डराने के लिए है | जातक के जन्म के समय आकाश के ग्रहों की स्थिति को जन्मकुंडली कहते है जन्मकुंडली मे बारह भाव और नौ ग्रहों की गणना की जाती है | स्वाभाविक सी बात है कि इन बारह भावों में नौ ग्रह किसी ना किसी भाव में ही स्थित होंगे | भृगु ऋषि जी ने इन ग्रहों की स्थिति द्वारा ऐसी गणना बनायीं थी जिससे यह पता लगाया जा सकता है कि जातक के पिछले कर्मो के फल का उस पर क्या प्रभाव है और भविष्य के लिए वर्तमान ग्रह स्थिति के अनुसार वह किस प्रकार के कर्म कर सकता है | पित्रदोष जैसे अनेको ऐसे शब्द है जो केवल डराने और निजी लाभ के लिए बनाये गए है | अब आप स्वयं ही यह निश्चित कीजिये कि किसी व्यक्ति की जन्मकुंडली में पित्रदोष हो सकता है या नहीं !
Karmalogist Vijay Batra
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