प्रार्थना करने की सही दिशा |
सूर्य सभी जीवों और वनस्पतियों के लिए ऊर्जा का स्त्रोत है यदि सूर्य नहीं होता तो पृथ्वी पर जीवन नहीं होता । सभी जानते है कि प्रात:काल सूर्य पूर्व दिशा से निकलता है और सायं काल पश्चिम दिशा में छिपता है । घरो या दफ्तरों में ईष्टदेव की स्थापना पूर्व दिशा में करने का एक मुख्य कारण यह भी है कि पूर्व से सूर्य की सकारात्मक ऊर्जा आती है । सूर्य की सकारात्मक ऊर्जा किसी मूर्ति या चित्र पर विश्वास के कारण स्वयं की सकारात्मक ऊर्जा से मिलकर दोगुनी हो जाती है । जब सकारात्मक ऊर्जा दो गुनी हो जाती है तो प्रार्थना करने पर परिणाम अपनी इच्छा के अनुसार ही मिलते है ।
हम सभी जानते है कि सूर्य के चारो ओर पृथ्वी चक्कर लगाती है पृथ्वी का जो हिस्सा सूर्य के सामने होता है वही हिस्सा पूर्व माना जाता है । भारत में जब सुबह होती है तो पश्चिम के देशों में रात होती है जब उन देशो में सुबह होती है तो भारत में रात होती है । जो लोग वास्तु में विश्वास रखते है वह अपने देश में दिख रहे सूर्य (अपनी पूर्व दिशा) के हिसाब से वास्तु का पालन करते है । जो वास्तु भारत में सही है वही पश्चिम वालो के हिसाब से गलत है क्योंकि उनका पूर्व हमारा पश्चिम है । इसका सीधा अर्थ यह हुआ कि सूर्य की सकारात्मक ऊर्जा जिस ओर से आ रही है प्रार्थना के लिए वही दिशा सबसे उत्तम है । पृथ्वी के घुमने के कारण हम अपने घर का सामान या मंदिर बार बार इधर उधर नहीं कर सकते इसलिए अपनी सुविधा के लिए मनुष्य ने सुबह वाले स्थान को पूर्व मान लिया ।
कुछ लोग मूर्ति पूजन में विश्वास नहीं रखते परन्तु वे लोग ईश्वर में विश्वास रखते है और मन में प्रार्थना भी करते है । ऋषि मुनियों ने पूर्व दिशा का चयन इसलिए किया क्योंकि प्रार्थना करते समय सूर्य की ओर मुख हो तो उस प्रार्थना का लाभ अधिक होता है । यदि ऐसा है तो दिन के चोबीस घंटो में प्रार्थना करने की दिशा बदलनी चाहिए क्योंकि पृथ्वी घुमती रहती है । यदि सूर्योदय समय सुबह छ: बजे हो तो पूर्व में मुख करके प्रार्थना करने से अधिक लाभ होता है इसके अनुसार बाकि के घंटे इस प्रकार है :- सुबह नौ बजे पूर्व दक्षिण दिशा, दिन में बारह बजे दक्षिण दिशा, शाम तीन बजे दक्षिण पश्चिम दिशा, शाम छ: बजे पश्चिम दिशा, रात नौ बजे पश्चिम उत्तर दिशा, रात बारह बजे उत्तर दिशा, सुबह तीन बजे उत्तर पूर्व दिशा में प्रार्थना होनी चाहिए। यदि आप सुबह छ: बजे (सूर्योदय के समय) पूर्व दिशा में मुख करके प्रार्थना करते है तो वह बिलकुल सही है ।
आध्यात्मिक लोगो के लिए समय, दिशा या स्थान का कोई महत्त्व नहीं होता वह बिना आँख बंद किये निराकार से जुड़े रह सकते है । यह लेख एक प्रयास है जिससे लोगो का भय और भ्रम समाप्त हो सके ।
KARMALOGIST VIJAY BATRA
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